Bachpan

बचपन बहुत याद आता है,

न चिंता न फिक्र, न दुनियादारी के जिक्र,

बस मस्ती में झूमना,माँ का वो चूमना,

पापा का साईकल में घुमाना,

दादी का रात को कहानी सुनाना,

ननिहाल में जो आता था खुल के जीने का मज़ा,

जी भर शैतानी करते, न मिलती थी कभी सजा,

स्कूल के दिन भी जब याद आते हैं,

चेहरे पे मुस्कुराहट बिखेर जाते हैं,

थक के चूर घर आते थे,

दूसरी सुबह फिर उसी उत्साह से,

स्वतः ही भर जाते थे,

आस पड़ोस के बच्चों की टोली,

कुट्टी -अप्पा का वो जमाना,

पिचकारी ले दोस्तों को भीगोने की होली,

दीवाली में मिलके दिए जलाना,

न थकान , न दर्द , न कही जाने की जल्दी,

न आगे निकलने की होड़,

बस गली मोहल्ले के खेल,

वो आड़े तिरछे मोड़,

कोई काश लौटा दी मेरे वो पल,

जहाँ रहता है आज भी मेरा मासूम कल ,

मन जहाँ यूँ ही चला जाता है,

बचपन बहुत याद आता है………….

Always seeking your blessings and wishes💕💕💕

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