हर शख्स नज़रो को ,भाता जनाब नही, ।
आदत है ये खराब तो , खराब ही सही ।
सूरत का होना ही लुभाये, ये ज़रूरी तो नही ।
यही है पैमाना तो फिर, पैमाने पे यकीन नही ।
सीरत भी है ज़रूरी ,थोड़ी चाहत भी अनकही ।
हो इरादों में आसमान , आचरण में हो जमीन ।
कलयुग है ये जानते हैं ,मिलेंगे देवो के गुण नही ।
बस इंसानियत हो जिसमें ,सही इंसान है वही ।
सही इंसान है वही , जिस को हर इंसान की कदर,
देख सके वो अच्छाइयों को ,हो बस पारखी नज़र ।
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Always seeking your blessings and wishes.,💕💕💕
Image. Pexel
बहुत सुन्दर
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बहुत बहुत आभार 😊
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यहीं तो मुश्किल है। इंसान में सब कुछ है पर इंसानियत नहीं। बहुत सुंदर पंक्तियां👌👏💐
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You wrote the essence in one line, I have become a fan of your one liners and
everything packed easy in few lines kind of writing style.
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So nice of you, Reena. It’s my pleasure 😊
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एक सीरतीया कि दो है मुरतीया
एक राम और दुजा है रहिम
फिर भी तो राघ, द्वेष फैली है……हम बाहर ही भटकते रह जाते है……भीतर कभी देख नहीं पाते है…….बहुत ही गहरी और सुंदर पंक्तियाँ है आपकी दीदी💕💕💕💕💕
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Aapki bhi bahut sundar panktiyan
Shabdon ka marm khub samajhte ho
Stay blessed 💕💕
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